मोटर दुर्घटना का दावा ट्रिब्यूनल वाराणसी में एक डिमांड ड्राफ्ट स्कैम सामने आया है। मुआवजे के रूप में बरामद राशि के कई मांग ड्राफ्ट ट्रिब्यूनल के साथ जमा नहीं किए जाते हैं। पीठासीन अधिकारी अश्वानी कुमार दुबे ने जिला मजिस्ट्रेट मिर्जापुर और तहसीलदार चुनार को बुलाया है।
पत्र के आधार पर, संजय कुमार केशरी और बाल गोविंद उर्फ नैट मामले में 4,23,262 की वसूली के लिए एक प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जिसके अनुपालन में 3,34,845 की राशि को तहसीलदार चुनार द्वारा 10 डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से ट्रिब्यूनल को भेजा गया था।
हालांकि, जांच में केवल दो ड्राफ्ट ट्रिब्यूनल में केवल 20,000 और 24,845 में संचित पाए गए। शेष 8 डिमांड ड्राफ्ट, जिनकी कुल राशि 2,90,000 है, का कोई रिकॉर्ड नहीं है। न ही उन्हें बैंक खातों में भुगतान किया गया है।
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इससे पहले, तहसीलदार चुनार से जानकारी और सबूत मांगे गए थे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। बैंक से प्राप्त रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि उक्त डीडी को ट्रिब्यूनल के खाते में कभी भी क्रेडिट नहीं मिला। ट्रिब्यूनल ने इस स्थिति को आपराधिक ट्रस्ट की श्रेणी में रखते हुए जिला मजिस्ट्रेट मिर्ज़ापुर और तहसीलदार चुनार को एक पत्र भेजा है। यदि इसका अनुपालन नहीं किया जाता है, तो अदालत की अवमानना पर विचार किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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