अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) के दौरे पर हैं। बुधवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में ट्रंप की एक तस्वीर सामने आई, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई और इस तस्वीर के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इससे पूरे पश्चिम एशिया की भू-राजनीति बदल सकती है। दरअसल इस तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा दिखाई दिए। तो आइए जानते हैं कि इसके क्या मायने हैं और भू-राजनीति की दुनिया में ये कितनी बड़ी घटना है।
क्यों हो रही इसकी चर्चा
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा, जो आज अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बतौर राष्ट्राध्यक्ष खड़े दिखाई दे रहे हैं, अब से कुछ साल पहले तक वे अमेरिका के लिए वांछित आतंकवादी थे। अहमद अल शरा पूर्व में आतंकी घटनाओं में शामिल रह चुके हैं। उन्हें मोहम्मद अल जालानी या गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। अहमद अल शरा संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका में वांछित आतंकवादी थे। बीते दो दशकों में अहमद अल शरा कई आतंकी संगठनों से जुड़े रहे, जिनमें खूंखार आतंकी संगठन अल कायदा और आईएसआईएस जैसे नाम शामिल हैं। अहमद अल शरा पर अल कायदा और आईएसआईएस के लिए फंड जुटाने, हथियारों का इंतजाम करने और लोगों को इनसे जोड़ने का गंभीर आरोप था। अहमद अल शरा का अल कायदा और आईएसआईएस से जुड़ाव इतना गहरा था कि वे सीधे अल कायदा प्रमुख रहे अयमन अल जवाहिरी और आईएसआईएस प्रमुख अबु बकर अल बगदादी को रिपोर्ट करते थे।
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सीरिया में बगावत का किया नेतृत्व
साल 2011 में सीरिया में बशर अल असद सरकार के खिलाफ बगावत शुरू हुई। असद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन हासिल था। अहमद अल शरा ने ही बशर अल असद सरकार के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया। अहमद अल शरा ने साल 2012 में अल नुसरत फ्रंट की स्थापना की, जिसे जबात फतह अल शाम के नाम से भी जाना जाता है। यह संगठन भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठन था, जिसे सीरिया में अल कायदा का सहयोगी संगठन माना जाता था। जल्द ही सीरिया में बगावत ने हिंसक रूप ले लिया।
साल 2017 में जबात फतह अल शाम ने अपना नाम बदलकर हयात तहरीर अल शाम कर लिया और इसे राजनीतिक संगठन का रूप देने की कोशिश की। इसका मकसद सीरिया से असद सरकार को हटाकर वहां इस्लामी खलीफा राज स्थापित करना था। कई वर्षों की हिंसा के बाद दिसंबर 2024 में बशर अल असद की हार हुई और असद सीरिया छोड़कर फरार हो गए। रूस भी असद सरकार की मदद के लिए नहीं आ सका क्योंकि वह यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है। बशर अल असद सरकार को सत्ता से हटाने के बाद हयात तहरीर अल शाम प्रमुख अहमद अल शरा ने खुद को सीरिया का अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
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सीरिया में रूस की जगह लेना चाहता है अमेरिका
सीरिया में सत्ता में आने के बाद अमेरिका ने सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटा लिए। ये प्रतिबंध साल 1979 से सीरिया की सरकार पर लगे थे। माना जा रहा है कि रूस समर्थक असद सरकार के सत्ता से हटने के बाद अब अमेरिका सीरिया में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। ट्रंप और अहमद अल शरा की मुलाकात के पीछे सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान का दिमाग बताया जा रहा है। दरअसल बशर सरकार के जाने के बाद ईरान की पकड़ भी सीरिया में कमजोर हो गई है, तो अब सऊदी अरब उस जगह को भरना चाहता है। साफ है कि इससे पश्चिम एशिया की राजनीति में बड़े बदलाव हो सकते हैं। तुर्किए और अरब देश भी सीरिया की नई सरकार का समर्थन कर रहे हैं।
इस्राइल ने दी चेतावनी
हालांकि इस्राइल की सरकार पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं है। उनका मानना है कि अमेरिका को सीरिया की नई सरकार को वैधता देने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इस्राइल इसकी वजह हयात तहरीर अल शाम की आतंकी पृष्ठभूमि को बताता है।
बहरहाल ट्रंप और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति की मुलाकात यकीनन पश्चिम एशिया की भू-राजनीति पर बड़ा असर डालेगी और इससे नए समीकरण बनेंगे और पुराने समीकरण ध्वस्त होंगे।
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