जौनपुर। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के 1734 ग्रामपंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। इन शौचालयों की देखरेख पर प्रतिमाह 9000 रुपये खर्च भी हो रहे है। प्रतिमाह करीब 1.50 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी सिर्फ 60 फीसदी यानी 1040 ही मौके पर क्रियाशील हैं। 40 फीसदी सामुदायिक शौचालयों का संचालन सिर्फ कागजों पर हो रहा है।जिला पंचायत राज विभाग के मुताबिक जिले के सभी 21 ब्लॉकों के 1734 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। हालांकि इनमें से 40 फीसदी यानी 694 शौचालय ऐसे हैं जो सिर्फ कागजों पर संचालित हो रहे हैं। मौके पर या तो निर्मणाधीन हैं या इनमें ताला लटका है। रविवार को अखबार की ओर से 15 सामुदायिक शौचालयों का पड़ताल कराई गई। इस दौरान मौके पर शौचालय कहीं अधूरे मिले तो कहीं बंद। कहीं बिजली, पानी, सफाई जैसी अव्यवस्थाओं के चलते अनुपयोगी मिले। ओडीएफ अभियान के तहत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में शौचालय बनवाने पर जोर दिया गया। इसके बावजूद 694 में 250 शौचालय ऐसे हैं जहां नियमित ताला नहीं खुलता। 444 शौचालय ऐसे हैं जो निर्माणाधीन हैं। इन शौचालयों की देखरेख का जिम्मा गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया। इसके बदले उन्हें प्रतिमाह छह हजार रुपये मानदेय देने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा तीन हजार साफ-सफाई आदि पर दिया जाता है।
केस-1 खुटहन चौराह के समीप बने सामुदायिक शौचालय के आसपास कचरों का अंबार लगा हुआ है। शौचालय में पानी बिजली तक की व्यवस्था नहीं जिससे अंदर भी गंदगी की भरमार है। जिससे लोगों को खुले में शौच के लिए मजबूरन जाना पड़ रहा है।
केस- 2सुइथाकला। के बुमकहां गांव में 2022-23 में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था, लेकिन इस शौचालय के संचालन के लिए अब तक किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। मजबूरन यहां के लोगों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ रहा है। इसी क्षेत्र के ग्रामपंचायत जंगीपुर में बने शौचालय में हमेशा ताला लगा रहता है। जंगीपुर निवासी अरविंद निषाद,बुमकहां निवासी आत्मा राम शर्मा ने जिम्मेदार अधिकारियों से शौचालय का संचालन कराने की मांग की है।
केस- 3बरसठी। क्षेत्र चकदोस्त दियांवा ग्रामपंचायत में सामुदायिक शौचालय में ताला लटकता मिला। जब इस संबंध में एडीओ पंचायत से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि यह शौचालय पूर्ण हैं और इसकी जिम्मेदारी प्रधान और सचिव की हैं उन लोगों को चालू रखना चाहिए। जबकि केयर टेकर को हर माह 6 हजार और हर तीसरे महीने तीन हजार रुपये मिलता हैं। वहीं क्षेत्र के रसुलहा गांव में निर्मित सामुदायिक शौचालय दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अधूरा पड़ा हुआ है।
केस- 4राजाबजार। महराजगंज ब्लाक क्षेत्र के बसहराकला गांव का सामुदायिक शौचालय है करीब सात वर्षों से आधा अधूरा पड़ा हुआ है, और अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय का निर्माण कार्य करीब 7 वर्ष पहले शुरू हुआ था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका। गांव निवासी शम्भूनाथ, महेंद्र रामअवध बबलू वीरेंद्र ने शौचालय शौचालय की ठीक कर संचालन की मांग की है। एडीओ पंचायत उमेंद्र यादव का कहना है कि शिकायत मिली है जांचोपरांत कार्यवाही होगी।
शौचालय खुलने का समय
सुबह 5 बजे से 11 बजे तक
शाम को 4 बजे से रात 10 बजे तक
(दिन में भी उपयोग के अनुसार खुलता या बंद होता है)
रख रखाव के लिए ऐसे मिलती है धनराशि
मद – अनुमान्य राशि
केयर टेकर को – 600
मरम्मत – 500
साफ- सफाई सामग्री – 1000
पानी, बिजली पर – 1000
अतिरिक्त – 500
कुल व्यय – 9000 रुपये प्रतिमाह
सभी सामुदायिक शौचालयों को समय खोलने के लिए केयर टेकरों को निर्देश दिया गया है। इसके लिए ऑनलाइन समीक्षा भी किया जा रहा है। अगर कहीं लापरवाही हो रही है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो अधूरे शौचालय है उन्हें जल्द पूर्ण किया जाएगा। –
नवीन सिंह, जिलापंचायत राजअधिकारी।