इस बार चैत्र नवरात्रि 9 दिनों के बजाय 8 दिनों की है। नवरात्रि पर हर एक दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-उपासना करने का विधान होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा और उपासना करने से भक्तों की सभी तरह के रोग, कष्ट और शोक समाप्त हो जाते हैं। नवरात्रि में मां के इस रूप की पूजा करने से पर भक्तों की आयु, यश, कीर्ति, बल और आरोग्यता में वृद्धि होगीत है। भगवती पुराण में देवी कुष्मांडा को अष्टभुजा से युक्त बताया है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के मौके पर मां कुष्मांडा की पूजा-विधि और महत्व। 

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मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। उनके आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण किए हुए हैं। मां सिंह की सवारी करती हैं। उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है।

पूजा का महत्व

विशेष रूप से माना जाता है कि मां की कृपा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। देवी कुष्मांडा रोगों का नाश करने वाली और आयु में वृद्धि करने वाली मानी जाती हैं। मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों के सभी रोग, दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इनकी पूजा से आयु, यश, बल और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इनके पूजन से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य की आरोग्यता बनी रहती है। मां कुष्मांडा की आराधना से जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि और सुख-शांति का प्रवेश होता है।नवरात्र उपासना में चौथेदिन इन्ही के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है।

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मां कुष्मांडा की पूजा विधि

 स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने पूजन स्थल को शुद्ध करें। मां कुष्मांडा की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मां का ध्यान कर उन्हें आमंत्रित करें। यह ध्यान करते समय मां के दिव्य स्वरूप की कल्पना करें। इसके बाद जल और पंचामृत से स्नान कराएं। फिर मां को सुंदर वस्त्र, फूल, माला और आभूषण अर्पित करें। विशेष रूप से, कुम्हड़ा (कद्दू) का भोग मां को अर्पित करना शुभ माना जाता है। मां को भोग में मिष्ठान्न, फल, नारियल और विशेष भोग अर्पित करें। मां कुष्मांडा को सफेद चीजों का भोग लगाना शुभ होता है। अंत में मां की आरती उतारें और उन्हें दीपक, धूप और गंध अर्पित करें।

 

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इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा देवी नमः” 

 



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