पश्चिम एशिया में बिगड़ते हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का आपातकालीन विशेष सत्र बुलाया गया। इसमें यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा, अमेरिका ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर जो बमबारी की है, वह पहले से ही अशांति से जूझ रहे इस देश में खतरनाक मोड़ आने का संकेत दे रही है। इससे बचने के लिए कूटनीति को बढ़ावा देना होगा, नागरिकों की सुरक्षा करनी होगी, सुरक्षित समुद्री परिवहन की गारंटी देनी होगी।
गुटेरेस ने आगे कहा कि हमें लड़ाई को रोकने और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर गंभीर, निरंतर वार्ता की ओर लौटने के लिए तुरंत और निर्णायक रूप से कार्य करना होगा। परमाणु अप्रसार संधि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की आधारशिला है। ईरान को इसका पूरा सम्मान करना चाहिए। सभी सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य नियमों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार कार्य करना चाहिए।
शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रयासों का समर्थन करने को तैयार संयुक्त राष्ट्र
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में किसी भी और सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है। रूस, चीन और पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित यूएनएससी प्रस्ताव के मसौदे पर आज की सुरक्षा परिषद की बैठक में मतदान नहीं किया जाएगा। यह सिर्फ एक मसौदा है, इसलिए मतदान से पहले इसे सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच प्रसारित करने की आवश्यकता है। सबसे पहले अगले सप्ताह की शुरुआत से मध्य तक होगा।
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रूस-चीन और पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव संक्षिप्त
गुटेरेस ने आगे कहा कि रूस, चीन और पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित यह मसौदा प्रस्ताव संक्षिप्त है। यह केवल डेढ़ पेज लंबा है, लेकिन इसमें दो मुख्य बिंदु हैं। यह ईरान में IAEA द्वारा संरक्षित शांतिपूर्ण परमाणु स्थलों और सुविधाओं पर हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसमें कहा गया है कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और IAEA की संपूर्ण सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है। इसमें विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका का नाम नहीं लिया गया है। तथ्य यह है कि इसमें तत्काल युद्ध विराम की मांग की गई है, अगर यह अंततः मतदान के लिए जाता है, तो अमेरिका इसे वीटो कर सकता है।
यूएन में ब्रिटिश राजदूत ने कहा- हम ‘ईरान से संयम बरतने का आग्रह करते हैं’
संयुक्त राष्ट्र में यूनाइटेड किंगडम- UK के राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने सुरक्षा परिषद के आपातकालीन विशेष सत्र में देश का पक्ष रखा। उन्होंने यूएनएससी से कहा, संघर्ष क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। अब हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता तनाव कम करने का समर्थन करना होनी चाहिए। यूके ने अमेरिका या इस्राइल के हमलों में भाग नहीं लिया। केवल सैन्य कार्रवाई ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में चिंताओं का स्थायी समाधान नहीं कर सकती। हम ईरान से संयम बरतने का आग्रह करते हैं और हम सभी पक्षों से बातचीत की मेज पर लौटने और कूटनीतिक समाधान खोजने का आग्रह करते हैं।
चीन तनाव बढ़ने से ‘गहरी चिंता’ में है: चीन के यूएन दूत
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव पर चीन के राजदूत फू कांग ने भी चिंता जताई। यूएनएससी की आपात बैठक में चर्चा के दौरान चीन ने कहा, ईरान पर अमेरिकी हमलों और परमाणु केंद्रों पर बमबारी की चीन कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा, हम तत्काल युद्ध विराम की मांग करते हैं। उन्होंने कहा ‘चीन स्थिति के नियंत्रण से बाहर होने के जोखिम को लेकर बहुत चिंतित है। फू कांग ने कहा, संघर्ष में शामिल पक्षों, खास तौर पर इस्राइल को तत्काल युद्ध विराम करना चाहिए ताकि ‘युद्ध बढ़ने’ से बचा जा सके।
रूस ने कहा- अमेरिकी हमले ‘पेंडोरा बॉक्स’ खोलने की तरह
संयुक्त राष्ट्र में पश्चिम एशिया के तनाव पर चर्चा के दौरान रूस के राजदूत वसीली नेबेन्ज़्या ने यूएन सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान कहा, ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमले करना ऐसा है जैसे अमेरिका ने पेंडोरा बॉक्स खोल दिया हो। अमेरिका ने ‘एक बार फिर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अवमानना प्रदर्शित की है। रूसी राजदूत के मुताबिक न केवल हजारों फलस्तीनी महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों की हत्याओं की अनदेखी की जा रही है, बल्कि पूरी मानवता की सुरक्षा और भलाई के साथ भी समझौता हो रहा है। अमेरिका के हमले के बाद ‘कोई नहीं जानता कि क्या नई तबाही और त्रासदी आने वाली है।
यूएन के मंच से अमेरिकी राजदूत ने चेतावनी दी
अपने नागरिकों, अमेरिकी ठिकानों पर ईरान के किसी भी संभावित हमले का ‘विनाशकारी प्रतिशोध’ लिया जाएगा। ये चेतावनी ईरान को दी गई है। यूएन में अमेरिकी राजदूत डोरोथी शीया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक के दौरान कहा, अमेरिकी सैन्य हमले ईरानी परमाणु केंद्रों पर किए गए। इसका मकसद ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को नष्ट करना था। ईरान ने लंबे समय तक अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को छिपाया और हाल की वार्ताओं में भी सद्भावना भरे प्रयासों को बाधित किया। अपने सहयोगी और अपने नागरिकों और हितों की रक्षा के लिए अमेरिका ने निर्णायक कार्रवाई का फैसला लिया। उन्होंने आगाह किया कि ईरान को अब आगे नहीं बढ़ना चाहिए… अगर उसने अमेरिकियों या अमेरिकी ठिकानों के खिलाफ किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हमले किए तो इसके नतीजे विनाशकारी होंगे। ईरान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
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यूएन में पाकिस्तानी राजदूत ने अमेरिका की निंदा की
पाकिस्तान ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले की निंदा की है। यूएन में पाकिस्तानी राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने यूएनएससी की आपात बैठक के दौरान कहा, इस्राइल की आक्रामकता और गैरकानूनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप तनाव और हिंसा बढ़ना बेहद परेशान करने वाली है। टकराव बढ़ने के विनाशकारी परिणाम होंगे। पाकिस्तान इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान ईरान की सरकार और नागरिकों के साथ एकजुट होकर खड़ा है।
UNSC की बैठक में ईरान की दो टूक, इस्राइल-अमेरिका के हमले ‘राजनीति से प्रेरित कार्रवाई’
यूएन में ईरान के राजदूत अली बहरीनी ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा, ईरान पर इस्राइल और अमेरिका के हमले “अचानक” नहीं हुए। हमले अमेरिका और उसके यूरोपीय भागीदारों की “राजनीति से प्रेरित कार्रवाइयों” का परिणाम हैं। बहरीनी ने कहा कि ईरान और अमेरिका के बीच होने वाली परमाणु वार्ता से दो दिन पहले ईरान पर हमला कर इस्राइल ने ‘कूटनीति’ का रास्ता छोड़ दिया। उन्होंने कहा, पश्चिम को उम्मीद है कि ईरान वार्ता की मेज पर वापस आएगा। सवाल यह है कि ईरान ने ‘कभी वार्ता छोड़ी ही नहीं। ईरानी राजदूत ने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को ‘राजनीतिक हथियार में बदल दिया गया है। आक्रामक और गैरकानूनी कार्रवाई के बहाने के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया है।
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