कोच्चि, केरल में एक रेस्तरां के मालिक के लिए एक राहत समाचार है, जहां स्थानीय उपभोक्ता अदालत ने फैसला सुनाया है कि ग्राहकों को ग्रेवी को मुफ्त में देने की आवश्यकता नहीं है। मामला तब शुरू हुआ जब एक ग्राहक ने पैरोथ और बीफ का आदेश दिया, जो केरल का एक लोकप्रिय व्यंजन है। पैरोथ आमतौर पर मैदा से बने होते हैं और इसकी परतदार बनावट के कारण, लोग इसे नरम और स्वादिष्ट बनाने के लिए ग्रेवी के साथ सेवा करना पसंद करते हैं।

केरल रेस्तरां और होटल में बीफ डिश के साथ ग्रेवी का अभ्यास आम है, खासकर जब पकवान सूखा होता है। ग्रेवी का स्वाद और बनावट विभिन्न स्थानों में भिन्न हो सकती है, जैसे कि प्याज बेस ग्रेवी या बीफ करी। यह विविधता केरल के भोजन की विशेषता है और लोगों को उनकी पसंद के अनुसार चुनने का अवसर प्रदान करता है।

रेस्तरां के मालिक ने कहा कि ग्राहक ने पहले पैरोथ और गोमांस का आदेश दिया था, लेकिन बाद में ग्रेवी की मांग की। रेस्तरां ने कहा कि वे आमतौर पर ग्रेवी नहीं देते हैं, लेकिन अगर ऑर्डर में ग्रेवी के साथ गोमांस होता है। ग्राहक ने एक बहस शुरू की और रेस्तरां के रुख से नाखुश हो गया। इसके बाद यह मामला अदालत में पहुंचा और एक लंबी कानूनी लड़ाई हुई।

रेस्तरां के मालिक ने कहा कि ग्राहक ने पहले स्थानीय अधिकारियों से शिकायत की और बाद में उपभोक्ता अदालत में एक याचिका दायर की। अदालत ने रेस्तरां के पक्ष में फैसला सुनाया, जो मालिकों को खुश करता है। उन्होंने कहा कि मुफ्त ग्रेवी देना व्यावहारिक नहीं होगा और रेस्तरां को अधिक खर्च करना होगा। इस निर्णय के बाद, ग्राहक ग्रेवी को अपना अधिकार नहीं मान सकते हैं और उन्हें अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है।



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