संसद से गुजरने के बाद, वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली है। अब इसे एक नए कानून के रूप में लागू किया जा रहा है। लेकिन वक्फ कानून के कार्यान्वयन से पहले, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर इसके खिलाफ एक याचिका दायर की जा रही है। कांग्रेस के बाद, AIMIM, AAM AADMI पार्टी और एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द सिविल राइट्स ऑफ़ द सिविल राइट्स, अब जमीत उलमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को चुनौती दी है।

जामियात उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि इस बिल को कानून बनाया जाता है, तो हम इसे देश की सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। इसलिए, जैसे ही राष्ट्रपति की सील, जमीत उलमा-ए-हिंद ने आज सर्वोच्च न्यायालय में इस कानून के खिलाफ एक याचिका दायर की है।

वक्फ की रक्षा के लिए हमारा कर्तव्य: मदनी

मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा, “वक्फ की रक्षा हमारा धार्मिक कर्तव्य है। यह कानून सीधे भारतीय संविधान पर हमला करता है। संविधान न केवल सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, बल्कि पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है। यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को दूर करने की साजिश है, जो संविधान के खिलाफ पूरी तरह से है।

जमीत की राज्य इकाइयाँ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करेगी

जामियात उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जामियात उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालय में इस कानून के खिलाफ याचिका दायर करेगी। मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायपालिका में पूरा विश्वास है कि जिस तरह अन्य मामलों में न्याय किया जाता है, हम इस संवेदनशील और असंवैधानिक कानून पर न्याय प्राप्त करेंगे।

धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के नेताओं पर मदनी उग्र

मौलाना मदनी ने इतने -भरे धर्मनिरपेक्ष दलों के नेताओं की आलोचना की और कहा कि इन नेताओं का व्यवहार सांप्रदायिक ताकतों की तुलना में अधिक खतरनाक है, क्योंकि वे दोस्त बन गए हैं और उनकी पीठ स्तब्ध हो गए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि धर्मनिरपेक्ष लोग और विशेष रूप से मुसलमान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।

यह भी पढ़ें – वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है, नया कानून अस्तित्व में आया



। (टी) वक्फ बिल



Source link

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version